मा सरस्वती को विद्या और बुद्धि की देवी माना गया है अगर इनकी कृपा हो जाये तो व्यक्ति बहुत महान बन सकता है |इस लेख के द्वारा हम आपको मा सरस्वती के के कुछ (Maa Saraswati Mantra in Hindi) और (Maa Saraswati Vandana in Hindi) के बारे मे बताने जा रहे जिनका स्मरण आपको बहुत लाभदायी होगा, इन मंत्रो के जाप से आप मा सरस्वती की कृपा पा सकते है –
1 – लहर – छहर भल पखना पसारे, कुहुकत खुइलै मंजोर हो |
तेहि पर बैठि कै आवौ महरानी | बानी संवारौ मोर हो |
नाहिन मोरे मइया सोनवा – खजनवा नाहिन लहर – पटोर हो |
मुला यहि मन के मंदिरवा मा अपने सजबै सिहासन तोर हो |
रस – धुनि – स्वर – लय – छंद सुधारौ भरि देव भाव – विभाव हो |
रीति- अलंकृति – गुन – गरिमा – लै कवित – विवेक बनाव हो |
मनई से मनई के मनवा मा उपजा हरि लेव सिगरौ दुराव हो |
अस करौ मइया मोरी कविता – कला से जग मा जगै सदभाव हो |
2 – हे हंस वाहिनी ज्ञानदायिनी
अम्ब विमल मति दे | अम्ब विमल मति दे ||
जग सिरमौर बनाये भारत,
वह बल विक्रम दे | अम्ब विमल मति दे |
हे हंस वाहिनी ज्ञानदायिनी
अम्ब विमल मति दे | अम्ब विमल मति दे ||
साहस शील ह्रदय मे भर दे,
जीवन त्याग – तपोमर कर दे,
संयम सत्य स्नेह का वर दे,
स्वाभिमान भर दे | स्वाभिमान भर दे ||
सरस्वती वंदना
1 – वर दे, वीणावादिनि वर दे !
प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव
भारत में भर दे !
काट अंध-उर के बंधन-स्तर
बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर;
कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर
जगमग जग कर दे !
नव गति, नव लय, ताल-छंद नव
नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव;
नव नभ के नव विहग-वृंद को
नव पर, नव स्वर दे !
वर दे, वीणावादिनि वर दे।
Maa Saraswati Mantra / Slok in Sanskrit
1 – सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥
2 – या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
3 – या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता,
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
4 – शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं,
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्,
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥
5 – विद्या-दायिनी सरस्वती मंत्र:
सरस्वती नमस्तुभ्यं, वरदे कामरूपिणी।
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा॥
6 – सरस्वति महाभागे विद्ये कमल लोचने। विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोस्तुते।।
मा सरस्वती का मूल मंत्र
1 – ॐ श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै नमः ॥
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