प्रभु हनुमान जी महाराज जैसा भक्त आज तक ना कोई हुआ है और ना ही होगा ऐसा प्रभु श्रीराम जी का आशिर्वाद है। हनुमान जी महाराज अजर – अमर है वो आज भी कलयुग मे अपने भक्तो की रक्षा कर रहे है। कलयुग मे रक्षा की जिम्मेदारी भगवान श्रीराम द्वारा उनको दी गयी है। तथा अमरत्व का वरदान भी माता सीता जी के द्वारा उनको दिया गया है। श्री हनुमान जी महाराज बल, बुद्धि, और विद्या के महान ज्ञाता है। हनुमान जी महराज की भक्ति मे जो भी मन से लग गया समझो उसकी सभी समस्या का निदान हो गया।
ऐसे ही प्रभु श्री हनुमान जी महाराज की जयन्ती पूरे देश मे बडे ही भाव और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। हनुमान जी महाराज का जन्म उत्त्सव भारत ही नही अपितु पूरे विश्व मे बडे ही उत्साह के साथ आयोजित किया जाता है।
आइये आज जानते है कि हनुमान जयंती 2025 मे कब है? और कैसे मनाई जाती है? –
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हनुमान जयंती 2025 मे कब है? (When is Hanuman Jayanti 2025)
हिंदी पंचांग गणेश आपा के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जयंती मनाई जाती है। तिथि और सत्र के अनुसार हनुमान जयंती 12 अप्रैल 2025 को मनाई जायेगी, इस दिन मंगलवार भी पड रहा है। मंगलवार का दिन तो वैसे ही प्रभु हनुमान जी महाराज का विशेष दिन है इस दिन सच्ची निष्ठा से की गयी भक्ति से प्रभु हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
हनुमान जयंती शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि का प्रारम्भ 12 अप्रैल 2025 को 03:23:27 सुबह से 13 अप्रैल 2025 को सुबह 05:53:30 तक। शुभ मुहूर्त मे किये गये हर कार्य बहुत ही लाभकारी होते है। अत: प्रभु आराधना भी शुभ मुहूर्त मे ही करे।
हनुमान जयंती 2025 के दिन कैसे करे पूजन?
यह दिन बहुत विशेष होता है। इस दिन दैंनिक क्रिया से निवृत होकर होकर स्नान ध्यान करके, सुंदर वष्त्र पहनकर सुंदर आसन लगाकर भगवान श्री हनुमान जी महाराज का विधि विधान से पूजन अवश्य करे। पूजन मे हनुमान चालीसा का पाठ, बजरंग बाण का पाठ तथा सुंदर कांड का पाठ अवश्य करें। हनुमान जी के जयंती के दिन विधि – विधान पूजन से प्रभु की विशेष कृपा का अवसर मिल सकता है।
हनुमान जयंती पूजा विधि
हनुमान जी महाराज ऐसे भक्त है। जिनके जैसा कोई भी नही इनकी भक्ति और भाव का कोई मोल नही। हनुमान जी महाराज भगवान भोलेनाथ के अवतार है। प्रभु श्रीराम के मनुष्य अवतार मे अवतरित होने पर उनके सेवा हेतु प्रभु का भी जन्म हुआ था। हनुमान जी महाराज की पूजा मे प्रमुखता आप श्रीराम जी और माता सीता जी की प्रतिमा को जरूर शामिल करे। क्योकि हनुमान जी के ह्रदय मे मर्यादा पुरुशोत्तम राम जी का वाश है।
आइये हनुमान जयंती 2025 के लिए यहा कुछ पूजा – विधि के बारे मे जानते है –
1 – सर्वप्रथम आप स्नान करके लाल वष्त्र धारण करे।
2 – हनुमान जी महाराज की प्रतिमा और रामदरबार की प्रतिमा को एक साफ सुथरी चौकी पर स्थापित करें।
3 – खुद एक कुशाशन पर बैठकर पवित्री मंत्र से पवित्र करें।
4 – लाल सिंदूर से भगवान हनुमान जी का तिलक करें, उनको चमेली के तेल भी अर्पण करें।
5 – घी का दीपक जलाये, अगर घी नही है तो तिल या चमेली के तेल का भी उपयोग कर सकते है।
6- माला अर्पण करे और उनको लड्डू का भोग अर्पण करे, अगर हो सके तो गुड चने का भोग भी लगाये।
7 – उसके बाद प्रभु का ध्यान करे।
8 – हनुमान चालीसा और सुंदर काण्ड का पाठ करें
9 – पाठ करने के बाद श्रद्धानुसार राम – नाम की माला का जाप जरूर करें क्योकि एक राम – नाम ही है जिसके अधीन प्रभु हनुमान जी महाराज है।
10 – उसके बाद घी के दीपक या चमेली के तेल से हनुमान जी महाराज की आरती करे।
11 – आरती के बाद सभी लोगो को प्रसाद वितरित करें।
Hanuman Jayanti Mantra (श्री हनुमान मंत्र)
1 – ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा!
2 – मनोजवं मारुततुल्यवेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं, श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥
3 – ॐ हं हनुमते नमः
4 – पवन तनय संकट हरण, मंगल मूरति रुप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
5 – ओम नमो भगवते अंजनाय महाबली स्वाहा |
6 – मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं कपीश्वर
यत्पूजितं मया देव! परिपूर्ण तदस्तु मे|
7 – ॐ ऐं ह्रीं हनुमते श्री रामदूताय नमः॥
श्री हनुमान जी की स्तुति
नमामि देव पावनं, विचित्र रूप धारिणं।
कृत्तांत मान मर्दनम्, सीता विशोक कारकं ॥
विशुद्ध बोध विग्रहं, विशुद्ध ज्ञान दायंक।
विशुद्ध प्रेम भाजनं, नमामि देव पावनं ॥
सौमित्ति प्राण रक्षकं, सुरारि प्राण भक्षकं ।
दशास्यण विनाशकं, नमामि देव पावनं॥ गोक्षुर कृत वारीधिं, विनष्ट माया मासुरा।
स्वच्छंद व्योम चारिण, नमामि देव पावनं॥
प्रचण्ड रूप धारिण, प्रंपन्न सुख दायिन ।
रण प्रियं रणान्तकं, नमामि देव पावनं॥
जनाति शोक नाशकं, भवाब्धि पोत वाहकं ।
असुर सुर वंदितं, नमामि देव पावनं॥
भवादि देव भावितं, सदा सुकार्य साधितं ।
लोकत्रय विबाधितं, नमामि देव पावनं॥
भवांतकं, भवात्मजं, भवान्तकं भवं प्रियं ।
भव रूज विनाशंन, नमामि देव पावनं॥
पवनात्मयेन स्त्रोत्रेण, नित्य स्तोष्यंति ये नराः ।
तेषां मृत्यु भयादिनी, भवन्ति न कदाचन॥
श्री हनुमान जी महाराज का त्रिकाल स्मरण
1 – प्रातः स्मरामि हनुमन्तमनन्तवीर्यं श्री राम चन्द्र चरणाम्बुजचंचरोकम् । लंकापुरी दहननन्दितदेव वृन्दं, र्वार्थ सिद्धि सदनं प्रतिथ प्रभावम् ।
2 – मध्याह्न नमामि वृजिनार्णव तारणैका, धारं शरण्यमुदितानुतम प्रभावम् । सीताऽऽधिसिन्धुपरिशोषण कर्मदक्षं, वन्दारुकल्पतरुम् व्ययमांजेनयम ॥
3 – सांय भजामि शरणोपसृताखिलार्ति, पुंजप्राणाशनबिधौ प्रथित प्रतापम् । अक्षान्तकं सकलराक्षसवंशम् धूमकेतुं प्रयोदित विदेहसुतं दयालुम् ॥
श्री हनुमान जी महाराज की आरती (Lord Hanuman Aarti)
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥
जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसि बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
दोहा
पवन तनय संकट हरण, मंगल मूरति रुप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
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